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माँ कंकाली के दरबार मे विदेशी पर्यटक भी मंदिर पहुंचकर दर्शन का लाभ प्राप्त करते है

मां कंकाली का सजा दरबार अपार श्रद्धालू भक्तो की भीड़ अपनी मनोकामना की चाह मे बोबाये जाते है जवारा 
शहडोल जिले से लगभग 8 किलोमीटर दूरी पर मां कंकाली का दरबार सजा हुआ है जहा भक्तों की भीड़ देखी जा रही है क्या गरीब क्या अमीर हर कोई अपनी हाजिरी लगा रहा है वही स्थानीय लोगो  द्वारा बताया गया कि मां कंकाली माता का ऐसा करिश्मा है कि हर किसी का मनोकामना को पूर्ण करती है लोग दूर-दराज से आ कर के अपनी मनोकामना कीअर्जी लगाते है  लोगों को मां कंकाली से अटूट विश्वास है  वही लोगों का कहना है कि आज भी मां का आशीर्वाद हम सभी पर बना हुआ है इसीलिए हर वर्ष दो बार मां के दरबार में मेला आयोजित किए जाते है जहां सैकड़ों के तादाद में भक्त प्रेमी दरबार में पहुंचते हैं और अपने मुरादों के लिए जवारा भी बोये जाते हैं।
 लगातार भंडारा चलते हैं 
 मंदिर ट्रस्ट के भंडारण संंचालक गोपाल अग्रवाल ने जानकारी दिया गया कि मंदिर ट्रस्ट की ओर से भंडारा प्रसाद का वितरण प्रतिदिन किया जाता है जो भी श्रद्धालु यहां आते हैं वह भंडारा प्रसाद पाते हैं लगातार भंडारा प्रसाद का कार्यक्रम हर वर्ष निरंतर जारी रहता है जिसकी इच्छा हो अपनी मर्जी से यहा किसी प्रकार का सहयोग दे सकता है यह मां का दरबार है हर किसी को दरबार में अपना सहयोग देने के लिए वह स्वयं सहयोगी बने। वही कुछ समाजिक लोगो द्वारा कई पंडाल लगाकर अपनी ओर से भी भंडारा प्रसाद नवरात्री के समय वितरण किया जाता है।
 जवारा कलश ट्रस्ट के द्वारा उपलब्ध
 लोगों की आस्था मां के दरबार में जवारा 5001 से ऊपर जवारा बोए जाते हैं और नवरात्रि के अंत में अपने जवारा को विसर्जन हेतु तालाबों में ले जाकर के विसर्जन कर दिया जाता है। वही लोगों का मानना है कि मां से मिन्नतें करके जवारा बोबाई जाती है या बोए जवारे को खरीद लिया जाता है  जिसकी व्यवस्था ट्रस्ट द्वारा  काउंटर टेबल लगाकर के लोगों को रसीद के माध्यम से बोए जवारे दिए जाते हैं जिसकी जितनी मुरादे होती हैं वह उतना जवारा लेता है और अपनी हाजिरी को बताते हुए जवारा विसर्जन कर दिया जाता है।प्राचीन काल से लगातार मां का दरबार सजा हुआ है इसीलिए विदेशी पर्यटक भी मंदिर पहुंचकर दर्शन का लाभ प्राप्त करते है

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