कंस्ट्रक्शन के नाम पर शिवलाल पटेल का भ्रष्टाचार तांडव सात साल से खामोश है शासन प्रशासन नही हो रहा कोई कार्यवाही

 मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गोद लिया शहडोल मे कंस्ट्रक्शन के नाम पर शिवलाल पटेल का भ्रष्टाचार तांडव 

शहडोल- मध्यप्रदेश का संभाग शहडोल जो प्रदेश का आखिर छोर है जो छत्तीसगढ़ की सीमा से लगा हुआ है यह अंचल आदिवासी बाहुल्य विशेष दर्जा प्राप्त जनजातीय वर्ग का है सरकार आजादी के बाद से ही इन प्रजातियो और इलाके के विकास के लिए सरकार ने खजाने को खोलकर रखा हुआ है चाहे जितना भी खर्च हो लेकिन सूबे के मुख्यमंत्री का साफ तौर पर कहना है काम मे लापरवाही और निर्माण मे समझौता बबर्दास्त नही किया जाएगा और इधर आदिवासी अंचल का विकास मे पैसे पानी के तरह खर्च किए जा तो रहे है लेकिन यह विकास की नदी बहाने और शासकीय खर्च मे कितने प्रतिशत लाभ आदिवासी अंचल के लोगो को हुआ। यह गंभीर जांच का विषय है जबकि धरातल मे ठीक इससे उलट बोलती तस्वीर ठेकेदार और कंपनी को लाभान्वित करने का उद्देश्य पूर्ण होता दिखलाई दे रहा है जो सही मायने मे आदिवासी का हक मारकर राजनीतिक संरक्षण प्राप्त ठेकेदार का विकास कर रही है।
जनता की तकलीफ मंत्री का रहम….
जिले के सोहागपुर ब्लॉक अंतर्गत
ग्राम श्यामडीह और कनवाही के मध्य निर्माणाधीन पुल जिसके निर्माण कार्य की मियाद खत्म हो चुकी है 5 साल बीतने के बावजूद निर्माण कार्य अपूर्ण है और ठेकेदार को समय समय पर बाक़ायदा भुगतान भी हो रहा है अब तो लोगो ने आरोप भी लगाना शुरू कर दिया हैकि कथित राजनीतिक संरक्षण प्राप्त ठेकेदार की कंपनी प्रभारी मंत्री रामखेलावन पटेल करीबियो न होती तो अब तक मंत्री जी ने ब्लैकलिस्टेड कर रिटेंडेर करवा दिया होता। इधर निर्माण कार्य समयावधि समाप्त होने और अल्टिमेटम के बावजूद कार्य पूर्ण तो ना हुआ लगभग 3 करोड का भुगतान करा दिया गया। इधर श्यामडीह और कनवाही जोड़ने वाला पुल निर्माण और सवा किलोमीटर की सड़क का लाभ आसपास के कनवाही से लेकर धुरीयाढोल, अकला, तितरा, खैरहनी, लफदा, गुर्रा, देवगढ़, के लोगो को कब तक मिलेगा इस बात का अंदाजा न ही संबधित विभागीय अफसर को है न जनप्रतिनिधियो को।कंस्ट्रक्शन कंपनी की हकीकत….
आदिवासी अंचल शहडोल का विकास किस गति से चल रहा है छिपा नही है लेकिन इस अंचल मे अब ऐसे भी ठेकेदार सक्रिय हो गए है इनमे रोलर चालक से शुरुआत करते करते टीन और जीएसटी फाइलिंग के नाम पर आयकर विभाग की आंखो मे धूल झोककर स्वयं के विकास मे तीव्रता दिखलाई ऐसे लोगो को अक्सर राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होता है सरकार किसी भी पार्टी की हो सिक्का इनका ही चलता रहा है ताजा उदाहरण कांग्रेस की सरकार मे सीधी की पैठ तो अब सत्ता परिवर्तन मे भाजपा सरकार मे अमरपाटन रसूख के दम पर आदिवासी बाहुल्य अंचल की हजारो कामगार मजदूर और मेधावी छात्र जो विशेष प्रजाति के अंतर्गत आते है इनको सभी के छले जाने और इनको 20वी सदी के विकास पीछे ढकेलने का काम मानो सत्ता की घौस मे चल रहा है।करोड़ो खर्च लेकिन वास्तविकता…जिले के संवेदनशील कलेक्टर और ईमानदार कमिश्नर को आठ साल से चल रहे सवा किलोमीटर की अधूरी सड़क और नौ दिन चले अढाई कोस की तर्ज मे बनने वाले पुल निर्माण कार्य की टोह लेने की आवश्यकता है सवाल यह भी है लगभग 10 गांव के स्वास्थ्य,  शिक्षा और व्यापार को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है।
पुल श्यामडीह से कनवाही के बीच बनने वाला पुल 2015 सितंबर की 30 तारीख से प्रारंभ होकर 14 दिसंबर 2017 मे पूरा होना तय था। मियाद खत्म 2017 मे हो चुकी बावजूद पाच वर्ष राजनीतिक संरक्षण और रसूख मे निकाल दिए जनता तो बेबस है परंतु कायदे-कानून तोड़कर पाच साल तक जनता के हक को रौदने वाले पर किसी भी जनप्रतिनिधि का नजरअंदाज किया जाने को लेकर लोगो ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि तथाकथित कौशल प्रसाद पटेल कंस्ट्रक्शन नामक कंपनी ने  सवा किलोमीटर की डब्लूबीएम सड़क और पुल जिसकी ठेके की लागत 462.30 लाख रूपए की थी पूर्ण न हो सकी। ठेकेदार ने बीते पाच साल उपसंभाग लोकनिर्माण एवं सेतु निर्माण शहडोल के अफसरान को पत्राचार मे लगातार उलझाए रखा और जाने अंजाने या कहो राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है इस उत्साह मे शपथ पत्र निष्पादित कर प्रोग्राम पेश कर समयावधि मे कार्य पूर्ण करने की शपथ ली। लेकिन बीते सरकारी कायदे-कानून तोड़ने वाले ने अपना ही निष्पादित शपथ-पत्र का उल्लंघन कर दिया है जिससे अब पुल निर्माण मे देरी भारी पड सकती थी। फिर काम में देरी के लिए जिम्मेदार कौशल प्रसाद पटेल कंस्ट्रक्शन नामक कंपनी ब्लैकलिस्टेड हो ना सकी। यह कही न कही आदिवासी अंचल के लोगो के स्वास्थ्य, शिक्षा और व्यापार प्रभावित करने जैसा है। इस पर जिला प्रशासन को संज्ञान लेना चाहिए। पुल पार करने खाट पर बेबस मजदूर परिवार इलाज को सोन पार करता रहेगा और सरकार और उसके नुमाइंदो को कोसता रहेगा।विफल प्रशासनिक प्रतिक्रिया….इस मामले लोकनिर्माण एवं सेतु निर्माण उपसंभाग शहडोल एसडीओ से संपर्क कर वास्तविक स्थिति पर प्रकाश डालने की कोशिश की गई लेकिन इस मामले पर कोई बात करने को तैयार नही है कि सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गोद लिया शहडोल की इससे ज्यादा बदहाली का प्रमाण कुछ नही है सकता जब स्थानीय संबंधित कार्यालय कौशल प्रसाद पटेल कंस्ट्रक्शन नामक कंपनी पर कार्रवाई की जगह पर्दादारी मे जुटे हुए है।

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