31/03/22 को राम सागर सिंह बबुआ के खिलाफ एफ आई आर दर्ज की गई है, जिससे पीड़ित को न्याय मिलने की उम्मीद जागी

शहडोल संभाग के बहुचर्चित फुड पार्क पीड़ित को न्याय मिलने की आशा जागी, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डी सी सागर एवं पुलिस अधीक्षक अवधेश कुमार गोस्वामी का किया अभार व्यक्त
शहडोल। रीवा रोड इंजीनियरिंग कॉलेज के सामने ग्राम निपनिया में स्थित बहुचर्चित फूड पार्क केस के पीड़ित सूर्य प्रताप सिंह ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डी सी सागर एवं पुलिस अधीक्षक अवधेश कुमार गोस्वामी का आभार व्यक्त किया है और बताया है  मेरे द्वारा  निष्पक्ष जांच व सुरक्षा हेतु पुलिस अधीक्षक महोदय से प्रार्थना की गई थी,  जिस पर  तत्काल संवेदनशीलता दिखते हुए इस केस के तथ्यों की जानकारी लेते हुए संज्ञान लिया, जिसकी वजह से लगातार 3 साल  के अन्याय के बाद दिनांक 31/03/22 को राम सागर सिंह बबुआ के खिलाफ  एफ आई आर दर्ज की गई  है, जिससे पीड़ित को न्याय मिलने की आशा हुई है बहुचर्चित फूड पार्क केस में भू- व्यापार में संलिप्त राम सागर सिंह उर्फ बबुआ का काला कारनामा पहले पार्टनरशिप फिर धोखा तथा अपना कुकृत्य छुपाने के लिए,पार्टनर के सिने मे बंदूक रख दी धमकी-इस घटना की  शिकायत तत्कालीन थाना प्रभारी सोहागपुर को प्रथम व  द्वितीय रिपोर्ट में की गई, परंतु जिनको न्याय-व्यवस्था की जिम्मेदारी दी गई थी उन्होंने ही किया अन्याय।आखिर कौन है वह मददगार जिनकी की वजह से बबुआ सिंह अब तक बचता चला रहा है आखिर 3 साल बाद एफ आई आर के क्या माइने है, क्या यह  इतना जटिल प्रकरण था या थाना  सोहागपुर  ने बबुआ सिंह को  बचाने के लिए जानबूझकर जटिल बना दिया, क्या थी  तत्कालीन थाना प्रभारी विकास सिंह की भूमिका आखिर तत्कालीन विवेचक प्रताप सिंह ने इस प्रकरण में क्या विवेचना की आखिर तत्कालीन पुलिस के उच्च अधिकारी ने पीड़ित के साथ संवाद करने में क्यों रुचि नहीं दिखाई जबकि पीड़ित के द्वारा उनको, लिखित में विवेचक प्रताप सिंह के आचरण की शिकायत की गई थी आखिर क्या हुआ मानव अधिकार आयोग के दिशा निर्देश का, जिसमें कि 8 हफ्तों के अंदर उचित कार्यवाही कर पीड़ित को सूचित करने के लिए दिशा निर्देश  तत्कालीन पुलिस अधीक्षक को दिए गए थे क्या आज का पुलिस प्रशासन उस वक्त होता तो शायद पीड़ित को अब तक  न्याय मिल  चुका होता 
तत्कालीन थाना सोहागपुर की विवेचना के तथ्य क्या कहते…?
इस गंभीर प्रकरण में ना तो एफ आई आर दर्ज की गई, ना तो पीड़ित के द्वारा दिए गए साक्ष्यों का परीक्षण किया गया ! सत्यता यह है कि इस प्रकरण में किसी तरह की कोई भी जांच नहीं की गई बल्कि उल्टा पीड़ित को  डरा धमका कर कंप्रोमाइज करने का दबाव डाला गया, आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार तत्कालीन  विवेचक  प्रताप सिंह ने इस प्रकरण को निष्क्रिय करने के लिए, देन लेन का  मामला बताकर,आरोपी राम सागर सिंह बबुआ को बचाने का प्रयास किया।  
यदि प्रताप सिंह ने किसी प्रकार की जांच की, तो वह जांच के बिंदु क्या है, इस प्रकरण में जांच बिंदु  क्या  होने चाहिए थे ?
क्या विवेचक प्रताप सिंह ने  यह पता लगाने का प्रयास  किया की  यह धोखाधड़ी कैसे संभव हो पाई आखिर घटनास्थल, फूड पार्क   का असली मालिक कौन है
जहां पर फूड पार्क बना है  वह जमीन किसकी हैआखिर विवेचक प्रताप सिंह के द्वारा मौका मुआयना पंचनामा इत्यादि  क्यों नहीं किया गया आखिर किस आधार पर  तत्कालीन सोहागपुर थाना प्रभारी विकास सिंह और विवेचक प्रताप सिंह ने आरोपी राम सागर सिंह उर्फ बबुआ सिंह को क्लीन चिट दे दी गंगासागर सिंह, विद्यासागर सिंह, श्रीमति सुमारी देवी के फूडपार्क की बिजली कटवा कर व्यापार बंद कराने के संबंध मे पूछताछ क्यो नहीं की गयी तथा इनके बयान दर्ज क्यों नहीं किये गये 
आज भी यह सवाल अनसुलझे है
फूड पार्क  केस के मुख्य तथ्य
फूड पार्क केस  के आरोपी राम सागर सिंह उर्फ बबुआ  ने छल, प्रवंचनपूर्वक अपने भाई की जमीन मे निर्मित भवन को अपना बताकर  देश सेवा मैनेजमेंट  के मालिक सूर्य प्रताप सिंह से 15 वर्षो के लिए साझेदारी अनुबंध कर  उनके कीमती समय, कार्यक्षमता व पैसों को लगवा कर  गंभीर छल किया तथा अपने आपराधिक कृत्य को छुपाने के लिए  गुंडागर्दी करते हुए अपने पैसे और राजनीतिक पहचान का गलत इस्तेमाल किया,आरोपी के भाई गंगा सागर सिंह ने न्यायालय मे अपना कथन दर्ज कराया है और बताया है की निपनिया स्थित आराजी  खसरा नंबर 243/2 ,फूड पार्क की भूमि उनकी है तथा उक्त भूमि को बंधक रखकर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया सोहागपुर शाखा से अपनी पत्नी श्रीमति अनीता सिंह के नाम 50 लाख (परियोजना लागत 65 लाख )  का लोन लेकर उक्त निर्माण कराया जा रहा था। पीड़ित सूर्य प्रताप सिंह को  विश्वास दिलाने के लिए कि सब कुछ सामान्य है कुछ भी संदिग्ध नहीं है अपने भाई के भी हस्ताक्षर बतौर गवाह, अनुबंध पत्र पर होना दिखाया जबकि इस केस के  आरोपी बबुआ सिंह के बड़े  भाई विद्या सागर सिंह ने न्यायालय मे अपना कथन दर्ज कराया है और बताया है अनुबंध पत्र में बतौर गवाह उनका नाम लिखा है पर उन्होने साइन नहीं किया है । जिस प्रकार सुनियोजित  तरीके से पीड़ित सूर्य प्रताप सिंह को फंसाया गया  है, इस बात से प्रमाणित है कि  पीड़ित सूर्य प्रताप सिंह के द्वारा साझेदारी अनुबंध पत्र साइन करने के बाद  लगातार  9 से 10 महीने तक का समय देकर फूड  पार्क प्रोजेक्ट को संपूर्ण किया गया एवं इन्वेस्ट किया गया  लेकिन, उस दौरान उक्त भूमि व संपत्ति के वास्तविक मालिक   सामने नहीं  आऐ और जब पीड़ित सूर्य प्रताप सिंह के द्वारा अपना पैसा लगाकर उस फूड पार्क को चालू किया  तब, वहां की बिजली आरोपी राम सागर सिंह उर्फ बबुआ के भाइयों के द्वारा कटवा कर व्यापार बंद कराने का प्रयास किया गया, जो की  संदेहास्पद है ।आखिर बबुआ सिंह धोखाधड़ी करने में कामयाब कैसे हो गया उसका कारण यह है कि आज भी निपनिया स्थित आराजी  खसरा नंबर 243/2 के खसरे पर  बैंक भूमि बंधक दिखाई नहीं देता है ।आज भी आरोपी  बबुआ  सिंह,  243/2  में निर्मित फूड पार्क को 243/1 में निर्मित  बता कर  इस प्रकरण में जांच एजेंसी को गुमराह करने का प्रयास कर रहा है  जबकि उसका उक्त भूमियों पर उसका कोई अधिकार नहीं है  तथा बबुआ सिंह के द्वारा कूट रचना कर उक्त संपत्तियों  के माध्यम से भविष्य में भी, किसी और व्यक्ति के साथ धोखाधड़ी  करने की संभावना बनी हुई  है। स्पष्ट रूप से खसरा नंबर 243/2  के वास्तविक भूस्वामी गंगा सागर सिंह  की रजिस्ट्री  में दर्ज चौहद्दी  से यह स्पष्ट होता है, की फूड पार्क का निर्माण आराजी खसरा नंबर 243/2 निपनिया में ही कराया गया है  तथा  बैंक में बंधक  रखने से पूर्व किए गए  भूमि सर्च रिपोर्ट से भी यह स्पष्ट है आखिर क्या   कहती है राम सागर की बबुआ के साले राहुल सिंह पुक्कू और दोस्तों के द्वारा फेसबुक  पर पोस्ट की गई गुंडागर्दी प्रचारित  तस्वीरे ,जिसमें स्पष्ट तौर पर फ़ूडपार्क मे  बंदूक की नोक पर कब्जा दिखाई देता है।यह घटना विशुद्ध रूप से षड्यंत्र कूट रचना बाहुबल, गुंडागर्दी व सरकारी विभागों की भ्रष्टाचार व कर्तव्य हीनता  तथा राजनीतिक संरक्षण को प्रदर्शित करता है फूड पार्क केस के पीड़ित सूर्य प्रताप सिंह ने तहसीलदार सोहागपुर व सेंट्रल बैंक सोहागपुर के शाखा प्रबंधक को पत्र लिख उक्त भूमि के खसरे में भूमिबंधक दर्ज करने  प्रार्थना की है, ताकि आरोपी बबुआ सिंह  किसी और व्यक्ति के साथ धोखाधड़ी  न सके।क्या इस केस के वर्तमान जांच अधिकारी श्रीमान आनंद झरिया सही तथ्यों को माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया है इन्तजार है पीड़ित को न्याय मिलने का 

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